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दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने बीस लाख संदिग्ध लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड समेत अन्य सरकारी दस्तावेज की जांच की। इसके बाद पुलिस ने इन सभी दस्तावेज को चेहरा पहचाने वाले साफ्टवेयर के साथ मिलाना शुरू किया तो 1100 उपद्रवियों की पहचान हुई। ये दंगाई हिंसा के दौरान कहीं सीसीटीवी में तो कहीं किसी के वीडियो में कैद हो गए थे।
कई जगह उपद्रवियों ने अपने चेहरों को कपड़ों या हेलमेट से ढकने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की मदद से करीब 1100 उपद्रवियों की पहचान की। इनमें से 300 लोगों की पहचान यूपी के निवासी के तौर पर हुई है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।
पुलिस ने जिले में हुई हिंसा मामले में अब तक 712 मुकदमे दर्ज कर करीब 215 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि हिंसा अचानक नहीं हुई बल्कि इसकी साजिश पहले से रची गई थी। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस के पास फेस रिकग्निशन सिस्टम के तहत दो लाख से अधिक लोगों का डाटा मौजूद है। इसके तहत यदि कोई आपराधिक प्रवृत्ति का शख्स हिंसा में शामिल हैं तो वीडियो, सीसीटीवी फुटेज या फोटो की मदद से उसकी पहचान हो जाएगी।
लेकिन जिले के हालात को देखते हुए फेस रिकग्निशन सिस्टम से आरोपियों की पहचान मुमकिन नहीं थी। पुलिस ने इसको संभव बनाने के लिए संवेदनशील 12 थाना क्षेत्रों के 61 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 20 लाख लोगों का डाटा जुटाया। इसके तहत लोगों के डीएल, वोटर आईडी व अन्य सरकारी दस्तावेज को खंगाला गया। इन दस्तावेज पर अंकित फोटो को हिंसा के वीडियो, सीसीटीवी व मिले फोटो से मिलान करवाया गया। इसके आधार पर पुलिस ने करीब 1100 लोगों की पहचान कर ली।